Thursday 4 May 2017

नेटवर्किंग डिवाइस


नेटवर्किंग डिवाइस का प्रयोग कंप्यूटर या अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को एक साथ कनेक्ट करने के लिए किया जाता है ताकि वे डेटा और अन्य resources को आपस में share कर सकें। जो डिवाइस LAN में प्रयुक्त होते हैं वे सबसे सामान्य नेटवर्किंग डिवाइस होते हैं। इन उपकरणों को कम्युनिकेशन डिवाइस भी कहते हैं। कंप्यूटर नेटवर्क में विभिन्न नेटवर्किंग डिवाइस की विभिन्न भूमिकाएं हैं I ये डिवाइस कंप्यूटर नेटवर्क के अलग-अलग भागों (segments) में अलग-अलग प्रकार के काम करते है।
कुछ प्रमुख नेटवर्किंग डिवाइस निम्नलिखित है-




NIC (Network Interface Card)नेटवर्क इंटरफ़ेस कार्ड:

नेटवर्क इंटरफ़ेस  कार्ड प्राथमिक और सबसे महत्वपूर्ण नेटवर्किंग डिवाइस है, इसके बिना नेटवर्किंग करना संभव नहीं है। NIC हमारे कंप्यूटर को किसी एक medium कि सहायता से दुसरे कंप्यूटर या device से connect करता है जिससे कि वो आपस में communicate कर सके या अपना data share कर सकें । हम ये भी कह सकते हैं कि NIC किसी कंप्यूटर को पूरी तरह से dedicated और full-time कनेक्शन के साथ नेटवर्क से जोड़ता है। NIC लगभग सभी कंप्यूटर और workstation में पहले से मौजूद रहता है, हम किसी कंप्यूटर में अलग से या अतिरिक्त NIC भी जोड़ सकते हैं। नेटवर्क इंटरफ़ेस  कार्ड serial डेटा strem को parallel डेटा strem में और parallel डेटा strem को  serial डेटा strem में परिवर्तित करता है। मुख्यतः हर नेटवर्क इंटरफ़ेस  कार्ड का एक अद्वितीय 48-bit का MAC एड्रेस होता है।

नेटवर्क के डिजाईन और उसमे प्रयोग होने वाले मीडियम के हिसाब से अलग अलग प्रकार के नेटवर्क इंटरफ़ेस कार्ड होते हैं



Modem(मॉडेम):

मॉडेम एक ऐसा नेटवर्किंग डिवाइस है जो एनालॉग संकेतो को डिजिटल में तथा डिजिटल संकेतो को एनालॉग में परिवर्तित करता है ताकि दो-तरफ़ा नेटवर्क कम्युनिकेशन हो सके। मॉडेम(MODEM) शब्द MOdulator-DEModulator को संयुक्त करने से बना है।



एक प्रकार के संकेतो का दुसरे पकार के संकेतो में रूपांतरण को modulation तथा पुनः पुराने रूप में प्रतिरूपण को demodulation कहते हैं
मॉडेम एक ऐसा  हार्डवेयर डिवाइस है जो कंप्यूटर के डिजिटल डेटा को फोन लाइनों पर उपयोग किए जाने वाले एनालॉग सिग्नल में परिवर्तित करके टेलीफोन लाइनों के माध्यम से  सूचना भेजने और प्राप्त करने की सुविधा देता है।

डिजिटल डेटा को एनालॉग संकेतों में परिवर्तित करने के लिए एक मॉडेम द्वारा उपयोग की जाने वाली मूल मोड्युलेसन तकनीकें हैं निम्नलिखित हैं:

Amplitude shift keying (ASK).
Phase shift keying (PSK).
Differential PSK (DPSK).
Frequency shift keying (FSK).



Network HUB(नेटवर्क हब):

एक नेटवर्क हब एक ऐसा डिवाइस है जो एक नेटवर्क में कई nodes को कनेक्ट करने के लिए उपयोग किया जाता है। हब एक central कनेक्टिंग point के माध्यम से नेटवर्क ट्रैफ़िक को केन्द्रित करता है।



एक हब OSI मॉडल की physical लेयर या लेयर -1 पर काम करता है। HUB को एक Host node से डेटा पैकेट प्राप्त होता है और हब उस पैकेट को भेजने वाले host node के साथ destination node और सभी जुड़े नोडों को प्रसारित करता  जाता है। डेटा को सारे नेटवर्क में प्रसारित करने कि तकनीक के कारण HUB सुरक्षित नहीं हैं। HUB हमेशा डेटा ब्रॉडकास्ट करते हैं।



Switch(स्विच):

एक नेटवर्क स्विच एक नेटवर्किंग डिवाइस है जो एक हब की तरह ही कई कंप्यूटर या होस्ट को एक नेटवर्क से कनेक्ट करने के लिए उपयोग किया जाता है लेकिन इसमें एक हब की तुलना में कईअधिक सुविधाएं और fetures होते हैं।



स्विच एक पोर्ट(port) से डेटा पैकेट लेता है और उसे उसी निर्धारित port पर ही भेजता है जिसके लिए वह डेटा पैकेट भेजा गया है। हब के विपरीत, नेटवर्क switch इनकमिंग संदेशों का निरीक्षण करने में सक्षम हैं, और उन्हें एक विशिष्ट संचार पोर्ट के लिए निर्देशित करते हैं। इस तकनीक को पैकेट स्विचिंग कहा जाता है एक स्विच प्रत्येक पैकेट के स्रोत और गंतव्य पते को निर्धारित करता है और केवल dedicated डिवाइस  के लिए ही डेटा को ट्रांसफर करता है। स्विच प्रेषक और रिसीवर के बीच विश्वसनीय डेटा ट्रांसफर के लिए प्रत्येक कनेक्टेड होस्ट के MAC address का उपयोग करता है। यह प्रत्येक पैकेट या डाटा यूनिट को देखता है और MAC एड्रेस को निर्धारित करता है। Switch एक लेयर -2 डिवाइस है जो ओएसआई मोडल के डेटा-लिंक परत पर काम करता है।



नेटवर्क switch को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है-

Modulator Switch(मोड्यूलेटर स्विच:

modulator स्विच में कुछ अतिरिक्त expansion स्लॉट होते हैं, इसलिए हम जरुरत पढने पर इन स्लॉट में  expansion modules को और जोड़ सकते हैं।



Fixed Switch(फिक्स स्विच)

FIxed स्विच में पोर्ट की संख्या निश्चित है और इनको घटाया अथवा बढाया नहीं जा सकता है। नेटवर्क कि आवश्यकता के अनुसार इनमे अलग अलग संख्या में port होते  हैं।
हम fixed स्विच को दो उप श्रेणियों में वर्गीकृत कर सकते हैं-

  1. Unmanaged Switch(अनमैनेज्ड स्विच)
  2. Managed Switch(मैनेज्ड स्विच)

नीचे दिये गये चित्र से हम अलग अलग प्रकार के स्विच को और बेहतर तरीके से समझ सकते हैं-



Unmanaged Switch(अनमैनेज्ड स्विच):

इन स्विच का उपयोग सामान्यतः घर या छोटे कार्यालय के नेटवर्क में किया जाता है।अप्रबंधित(unmanaged) स्विच प्लग-और-प्ले तंत्र पर काम करता है, उपयोग करने के लिए बहुत आसान है और किसी भी कॉन्फ़िगरेशन या satting की कोई आवश्यकता नहीं है। यदि हमें किसी भी डिवाइस को हमारे नेटवर्क से कनेक्ट करना है, तो उसे स्विच पर किसी भी उपलब्ध पोर्ट पर कनेक्ट कर लें और डिवाइस तुरंत पूरे नेटवर्क से कनेक्ट हो जाएगा।



Managed Switch(मैनेज्ड स्विच):

Managed स्विच एक अप्रबंधित(Unmanaged)  स्विच की सभी सुविधाएं प्रदान करते हैं और हमारे नेटवर्क को कॉन्फ़िगर करने, प्रबंधित करने और मॉनिटर करने की अतिरिक्त क्षमता भी प्रदान करते हैं। प्रबंधित स्विच हमें संपूर्ण नियंत्रण देता है कि डेटा नेटवर्क पर कैसे यात्रा करेगा और डेटा कैसे destination पहुंचेगा। नेटवर्क को और अधिक सुरक्षित करने के लिए हम अपने नेटवर्क को VLANs में उप-वर्गीकृत कर सकते हैं। और SNMP (Simple Network Management Protocol) कि सहायता से ये सारे नेटवर्क में जुड़े  कंप्यूटर्स को  monitor कर सकते हैं।
प्रबंधित(Managed) स्विच port-security सुविधा का उपयोग करके नेटवर्क को अधिक सुरक्षित बना देता है। port-security सुविधा उपयोगकर्ता को MAC-address के आधार पर पोर्ट की पहुंच को नियंत्रित करने में सक्षम बनाता है। Managed स्विच में डिफ़ॉल्ट रूप से, port-security सुविधा  disable रहती है, जिसे मैन्युअल रूप से enable करना पड़ता  है।
Console port और auxiliary port नेटवर्क कॉन्फ़िगरेशन के लिए प्रत्येक प्रबंधित स्विच पर उपलब्ध होते  हैं। Console port मैन्युअल कॉन्फ़िगरेशन के लिए primary port है Managed स्विच को remote access कि मदद से किसीअन्य स्थान से भी configure किया जा सकता है। स्विच (L 2-switch) लेयर -2 या OSI मॉडल की डेटा-लिंक लेयर पर काम करता है।



Managed स्विच को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया  है-

  1. Layer-2 Switch(लेयर-2 स्विच)
  2. Layer-3 Switch(लेयर-3 स्विच)

लेयर-3 स्विच लेयर-2 स्विच की सभी सुविधाएं प्रदान करते हैं और  साथ ही लेयर-3 प्रोटोकॉल पर काम करने के लिए अतिरिक्त क्षमता प्रदान करते हैं। लेयर-3 स्विच Router कि तरह लेयर -3 प्रोटोकॉल पर भी काम कर सकते हैं, जबकि लेयर-2 स्विच, लेयर-3 प्रोटोकॉल पर काम करने में सक्षम नहीं हैं। लेयर-2 स्विच OSI मॉडल कि डेटा-लिंक लेयर पर ही काम कर सकते हैं, जबकि लेयर-3 स्विच डेटा-लिंक लेयर और नेटवर्क-लेयर दोनों पर काम कर सकते हैं।

Repeaters(रिपीटर):

repeater एक नेटवर्किंग डिवाइस है जो point से प्राप्त signals को बढ़ाता है और इसे दूसरे point को ट्रांसफर है। दुसरे शब्दों में  सकते हैं कि repeater संकेत प्राप्त करते हैं और इसे उच्च स्तर या उच्च शक्ति पर पुन: प्रसारित करता है ताकि संकेत लंबी दूरी को कवर कर सकें। repeater नेटवर्क केबल के दो सेगमेंट को जोड़ता है। repeater एक सेगमेंट से संकेत प्राप्त करता है और इसे उचित आयामों में पुन: उत्पन्न करता है और उन्हें दूसरे खंड में भेजता है। repeater को संकेतों को reganarate करने में थोडा समय लगता है, इसलिए यदि नेटवर्क में कई repeater होते नेटवर्क में नेटवर्क में data ट्रांसफर में ज्यादा समयलग सकता है। repeater, OSI मोडल की लेयर-1 या physical लेयर पर काम करता है।




Bridge(ब्रिज):

एक bridge ऐसा नेटवर्किंग डिवाइस है जो अलग - अलग नेटवर्क से एक नेटवर्क बनाता है। एक bridge किसी LAN को दूसरे LAN से जोड़ता है जो एक ही प्रोटोकॉल (ethrnet या token-ring) का उपयोग करते हैं। एक bridge आमतौर पर डेटा के फ्रेम-बाय-फ़्रेम आधार पर काम करता है। एक bridge किसी LAN पर प्रत्येक संदेश की जांच करता हैऔर ये सुनिश्चित करता है कि उस सन्देश को किस LAN को भेजना है।



Router(राऊटर):

router एक नेटवर्किंग डिवाइस है जिसे दो या अधिक विभिन्न नेटवर्क को एक साथ कनेक्ट करने के लिए उपयोग किया जाता है। राउटर कंप्यूटर नेटवर्क के बीच डेटा पैकेट संचारित करता है। router नेटवर्क मे data ट्रांसफर की दिशा प्रदर्शन करते हैं। router एक dispatcher के रूप में कार्य करता है क्योंकि यह deside करता है कि farwording-table या कनेक्टेड नेटवर्क की routing-table के अनुसार प्रत्येक सूचना पैकेट भेजने का तरीका क्या है या यह तय करता है कि पैकेट भेजने के लिए कौन से मार्ग सबसे अच्छा है। एक राउटर उपलब्ध रूटों और उनकी स्थितियों की एक तालिका बनाए रख सकता है और किसी भी पैकेट के लिए सर्वोत्तम मार्ग निर्धारित करने के लिए distance और cost algorithms के साथ इस जानकारी का उपयोग कर सकता है। सबसे अच्छा path निर्धारित करने के लिए राउटर headers और farwording-table का उपयोग करते हैं, और वे एक दूसरे के साथ संचार करने के लिए प्रोटोकॉल जैसे कि ICMP का प्रयोग करते हैं और किसी भी दो host के बीच सर्वश्रेष्ठ मार्ग को कॉन्फ़िगर करते हैं।




Wireless Access-Point(वायरलेस एक्सेस पॉइंट):

वायरलेस एक्सेस पॉइंट्स ऐसे नेटवर्किंग डिवाइस होते हैं वायरलेस signals ट्रांसमिट और रिसीव करता है और इन वायरलेस सिग्नल के medium से कोई  Wi-fi डिवाइस किसी wired नेटवर्क से कनेक्ट हो सकती  है।  वायरलेस एक्सेस पॉइंट्स आम तौर पर एक router (wired नेटवर्क) को एक standalone डिवाइस के साथ जोड़ता है, यह router का एक part भी हो सकता है। एक्सेस प्वाइंट एक केंद्रीय ट्रांसमीटर और वायरलेस रेडियो सिग्नल के रिसीवर के रूप में कार्य करते हैं।जो एक range में नेटवर्क क्षेत्र के भीतर कई उपयोगकर्ताओं को सेवा प्रदान कर सकता है, जैसे ही कोई dovice इस range से आगे बढ जाती है हैं, तो वो device अगले एक्सेस पॉइंट से कनेक्ट हो जाती है। वायरलेस एक्सेस पॉइंट्स का प्रयोग public Internet hotspots या बड़े  business networks में होता है  जहां बहुत बड़ी area को वायरलेस कवरेज की आवश्यकता होती है।


इन नोट्स को डाउनलोड करने के लिए नीचे दिये लिंक का प्रयोग करें -
https://drive.google.com/open?id=0B6Ov-Oe4YuYUb1Y5RnNmcWljRXc

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